Just felt like re-posting this March - '07 entry again on V-Day ;-)
ये इश्क है ऐ-यार या फिर उम्र का खुमार है,
मीलों तक बिखरी हुई एक धुन्ध है गुबार है,
सभी के दिल में शंख से ध्वनित हैं जैसे जीत के,
घंटियों की ताल है यूं मंदिरों के गीत से.
है प्रेम कि ये विडंबना या ज़िन्दगी का उपहार है.
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
इस शहर में प्रेम की परिभाषा ही कुछ और है,
ह्रदय की गुन्जन नहीं है ये बस भ्रमरों की दौड है,
गिनतियों में,तोह्फ़ो में, चलता दिलों का कारोबार
ईश्वर की दी इस दवा से मानव स्वयं ही है बीमार
पावन गुणों से इस रोग के मुझे कब इंकार है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
वो है मेरा यार और मेरा रहेगा उम्र भर,
देखो तो मेरा प्यार ज़िंदा रहेगा अनश्वर,
दौडेगा खून बन कर रगों में सांसों में करेगा रैन-बसर,
ये ही है वो जिसके लिये छोडी है मैने हर डगर,
कौन ! ओह वो पहले वाला? वो तो बस बेकार है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
दोस्ती के रिश्ते यूं बदल रहे हैं रंग क्यूं,
बदल रहे हैं आरजू,बदल रहे हैं मीत क्यूं,
बदल रहे हैं दिल सही,बदल रहे इंसान क्यूं,
बदल रहे हैं हार के और जीत के पैमान क्यूं,
रुकी-सधी सी जिंदगी क्या कोई अपमान है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
दोस्ती और प्रेम को अलग-अलग रखता हूं मैं,
दोनों के ही भाव को शत-शत नमन करता हूं मैं,
भ्रमित हूं बस इस चलन से, कि प्रेम ही है सर्वोपरि,
मेरे लिये तो दोस्ती हर नाते-बंधन से बडी ,
तभी दोस्तों से मुझे असीमित-अतुलनीय प्यार है.
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
- मनु
ये इश्क है ऐ-यार या फिर उम्र का खुमार है,
मीलों तक बिखरी हुई एक धुन्ध है गुबार है,
सभी के दिल में शंख से ध्वनित हैं जैसे जीत के,
घंटियों की ताल है यूं मंदिरों के गीत से.
है प्रेम कि ये विडंबना या ज़िन्दगी का उपहार है.
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
इस शहर में प्रेम की परिभाषा ही कुछ और है,
ह्रदय की गुन्जन नहीं है ये बस भ्रमरों की दौड है,
गिनतियों में,तोह्फ़ो में, चलता दिलों का कारोबार
ईश्वर की दी इस दवा से मानव स्वयं ही है बीमार
पावन गुणों से इस रोग के मुझे कब इंकार है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
वो है मेरा यार और मेरा रहेगा उम्र भर,
देखो तो मेरा प्यार ज़िंदा रहेगा अनश्वर,
दौडेगा खून बन कर रगों में सांसों में करेगा रैन-बसर,
ये ही है वो जिसके लिये छोडी है मैने हर डगर,
कौन ! ओह वो पहले वाला? वो तो बस बेकार है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
दोस्ती के रिश्ते यूं बदल रहे हैं रंग क्यूं,
बदल रहे हैं आरजू,बदल रहे हैं मीत क्यूं,
बदल रहे हैं दिल सही,बदल रहे इंसान क्यूं,
बदल रहे हैं हार के और जीत के पैमान क्यूं,
रुकी-सधी सी जिंदगी क्या कोई अपमान है,
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
दोस्ती और प्रेम को अलग-अलग रखता हूं मैं,
दोनों के ही भाव को शत-शत नमन करता हूं मैं,
भ्रमित हूं बस इस चलन से, कि प्रेम ही है सर्वोपरि,
मेरे लिये तो दोस्ती हर नाते-बंधन से बडी ,
तभी दोस्तों से मुझे असीमित-अतुलनीय प्यार है.
ये इश्क है ऐ-यार………………………………..
- मनु