Wednesday, April 23, 2008

क्या नयी ये जिंदगी है...Me at my romantic best :-)

Life is the best teacher and also the best appraiser.I had jotted down this prose some 3 years back for Priyanka, not 'coz I wanted to but 'coz I simply could not help it.The words just poured onto a rough piece of paper.Luckily,even she liked the poem and preserved it for all these years.My other side,which is very much unlike me.Very different.Very uncharacteristic.


क्या नयी ये जिंदगी है,या महज एक एहसास है
दूर रहा मैं जिन भावों से,आज ह्रदय में उनका वास है
क्या नयी ये.....

दूर-दूर ही रहता था मैं,जिन अचिन्हे सपनो से
उन्मुक्त विचरता था जग में दम्भित,ना सरोकार था बंधनों से
फिर आज ह्रदय का रोम-रोम क्यों,
बन गया किसी का यूँ दास है
क्या नयी ये.....

खनक हँसी की जिसकी मेरे,उर में घुल घुल जाती है
अधरों से हँसते होंगे देव,वो आँखों से मुस्काती है
जिसकी बोली हर बात क्यों जाने,
मेरी सबसे प्यारी याद है
क्या नयी ये.....

कभी मासूम,कभी चंचल कभी,बातों-बातों में शर्माती है
तो कभी धीर निर्भय स्वरूप से,मुझको विस्मित कर जाती है
बनकर जीवन में बयार आई थी,
पर आज बन गई मेरी श्वांस है
क्या नयी ये .....

3 comments:

  1. Beautiful....n really passionate...very nice work..:) hail the lady..:)whose thts brought this beauty outta u..:)

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  2. hahaha..Thnx dear...There is another one that is due...Just hope you like that too...

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  3. This, I must say is the best of all ur creative writings....when it comes from the heart, it just shows..:):)haina..:)

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